दोस्ती न ऐसा बंधन है ,
जो जब चाहा तब जोड़ लिया !
मिटटी का नहीं खिलौना है ,
जब चाहा तब तोड़ दिया !!
जो जब चाहा तब जोड़ लिया !
मिटटी का नहीं खिलौना है ,
जब चाहा तब तोड़ दिया !!
........ मैथली शरण गुप्त
-- और मैथली शरण गुप्त के देश में दोस्ती बिकने लगी है ,सभी समाचारपत्रों ,वेब पेज पर नज़र डालिए कालम भरेमिलेंगे आपको ''मनचाहे दोस्त''!दोस्ती के रूप तय हो गए है..डीलक्स,सेमी डीलक्स,डायमंड.....!सबकी कीमतअलग अलग है जी,दोस्ती की समयावाधि,भी तय है!समय ख़त्म,दोस्ती ख़त्म!फिर पैसा दीजिये फिर नया दोस्तमिलेगा!बड़े शहर में बाकायदा बड़े होर्डिंग्स के साथ फ्रेंड क्लब खुल गए है,३००० से लेकर १०००० रूपे तकमेम्बरशिप फीस है! फिर आपको बताना होगा की आपको दोस्त किस खासियत का चाहिए,फिर आपको एकनिश्चित अवधी के लिए कुछ दोस्तों के नम्बर दिए जायेगे उस अवधी तक आप उनसे दोस्ती जारी रख सकतेहैं!उसके बाद वह मोबाइल नम्बर स्वतः काम करना बंद कर देगे!यह साधारण दोस्ती है!सेमी डीलक्स,डीलक्स औरडायमंड श्रेणी की दोस्ती में आपको ऐसे दोस्त मिलेगे,जिन्हें आप अपने साथ कही भी ले जा सकते है!आप इस तरहके दोस्त जिस शहर में चाहेगे उस शहर में आपको उपलब्ध कराये जायेगे बस आपको थोडी कीमत ज्यादा चुकानीहोगी
लाखों वेब साईट हैं जी फ्रेंड बिकते है..
.........वाह! रे मेरा भारत....
मेरा देश महान!
हम मूल्य विहीन समय की तरफ बढ रहे है,हद दर्जे के सुखवादी हो गए है!सुखवादी मानसिकता की ही यह देन हैकी दोस्त उपलब्ध कराने के लिए अब दुकाने खुल गयी हैं!......दोस्ती अर्थात सच्चा मित्र, एक अपनी ही दूसरीआत्मा है! सच्चे विश्वास को ही दोस्त कहते है! इससे पवित्र रिश्ता न कोई था,न है और न ही होगा....कृपया इसेकुरूप और बदनाम न होने दो! इंसानियत ख़त्म न होने दो!अगर आपने एक शब्द पर भी ध्यान देकर दोस्ती के अर्थको समझा तो मैं आपको देश का, इंसानियत का रखवाला समझूँगा!कृपया जो भी आपके आस पास इस घिनोनी दोस्ती का कारोबार कर रहा हो या संलिप्त हो उसके खिलाफ आवाज़ उठाइए !
.......धन्यवाद!
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